यह भी फ़रेबी, वह भी फ़रेबी,
दुनिया का हर पत्ता है फ़रेबी।
जीने के लिए जहाँ में आये,
यहाँ पे जीने की बात है फ़रेबी।
दिल में जो ना घर कर जाए,
इश्क़ का वो एहसास है फ़रेबी।
वक़्त पर जो साथ छोड़ जाए,
दोस्ती की वह कसम है फ़रेबी।
परवरदिगार के बच्चों को बाट जाए,
इबादत का वह सलीका है फ़रेबी।
नशे में जो ख़ुदी को भूल जाए,
जीने का वह रवैया है फ़रेबी।
चंद सिक्कों में सबको तोल जाए,
तमद्दुम के ये तबके हैं फ़रेबी।
इल्म से सराबोर पर इंसानियत भूल जाए,
तालीम देने का यह तरीका है फ़रेबी।
मिटटी के क़र्ज़ पर कुर्बान न हो पाये,
जवानी का वह जज़्बा है फ़रेबी।
यह भी फ़रेबी, वह भी फ़रेबी,
दुनिया का हर पत्ता है फ़रेबी।।
Vry well written…d talent in u z really awsm…keep up d gud wrk
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thanks 🙂
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nevr knew u write dis well … 🙂
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sHukriya
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Thnks
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